शिक्षा प्रतिनिधि द्वारा
सरगुजा : सिविल सर्विस परीक्षा में अम्बिकापुर के दो छात्रों ने सफलता हासिल की है.अंबिकापुर के केशव गर्ग जो मूलतः बतौली के रहने वाले हैं उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में कमाल किया है. शहर के बौरी पारा की रहने वाली शची जायसवाल ने भी यूपीएसएसी सिविल सेवा एग्जाम में सफलता का परचम लहराया है. इन दोनों युवाओं की सफलता पर पूरा शहर झूम रहा है. दोनों के परिवार वाले भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
केशव गर्ग की सक्सेस स्टोरी: केशव गर्ग ने यूपीएससी की परीक्षा में 496 रैंक हासिल कर परीक्षा में सफलता हासिल की है. कोरोना काल में पिता को खोने के बाद बड़े भाई ने अपनी पढाई का त्याग किया और छोटे भाई को पढाने की जिम्मेदारी उठाई. छोटे भाई केशव गर्ग ने भी कड़ी मेहनत कर भाई के बलिदान को जाया नहीं जाने दिया और यूपीएससी में सफलता हासिल कर परिवार के साथ ही सरगुजा का नाम रौशन किया है.
केशव गर्ग की शिक्षा के बारे में जानिए: केशव गर्ग ने 496 रैंक हासिल कर परीक्षा में सफलता हासिल की है. इस सफलता के बाद परिवार में जश्न का माहौल है और परिवार में खुशियों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे है. दरअसल मूलत: बतौली निवासी केशव गर्ग ने 10 वीं कक्षा तक की पढाई डीपीएस स्कूल अंबिकापुर से की. उसके बाद कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने केपीएस भिलाई से पूरी की. केशव 12वीं पास करने के बाद बी टेक कम्प्यूटर साइंस की पढाई करने के लिए भोपाल चले गए.
केशव को बड़े भाई ने किया सपोर्ट: साल 2017-21 तक एलएनसीटी भोपाल से उन्होने बीटेक की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान अंतिम वर्ष में परीक्षा के दो सप्ताह पहले ही पिता विनोद गर्ग का निधन हो गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बीटेक की परीक्षा सफलतापूर्वक हासिल की, बड़ी बात यह है कि केशव के भाई चंद्रकांत गर्ग भी पढ़ाई में काफी अच्छे हैं, लेकिन पिता के निधन के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी बड़े भाई पर आ गई और उन्होंने अपनी पढाई का त्याग करते हुए अपने छोटे भाई केशव गर्ग की पढाई को सपोर्ट किया. यही वजह है कि केशव ने भी लक्ष्य निर्धारित कर यूपीएससी में सफलता हासिल की. यूपीएससी में 496वां रैंक हासिल करने वाले केशव गर्ग ने अपने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है.
तीन साल की कड़ी मेहनत में उन्होंने यह सफलता पाई है. दो सालों तक घर में रहकर ही यूपीएससी की पढ़ाई की और परीक्षा दी, एक साल पहले मैं यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली गया. यहां बिना किसी कोचिंग के लाइब्रेरी में पढ़ाई की. टाइम टेबल बनाकर पढाई करता था. उस टाइम टेबल को पूरा करने में 10 से 12 घंटे का समय प्रतिदिन लगता था.- केशव गर्ग, 496 वें रैंक होल्डर, सिविल सर्विस परीक्षा 2024
शची जायसवाल ने सरगुजा का नाम किया रोशन: यूपीएसएसी परीक्षा में अम्बिकापुर शहर के बौरीपारा निवासी शची जायसवाल ने भी सरगुजा का नाम रौशन किया है. शची ने यह सफलता अपने सेकेंड अटैम्पट में हासिल की है. शची बचपन से पढ़ाई में ब्रिलिएंट स्टूडेंट रही है. उन्होंने क्लास 1 से 8वीं तक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय अंबिकापुर से पूरी की है.
उसके बाद शची ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक होली क्रॉस कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की. 12वीं की पढ़ाई के बाद शची ने दिल्ली का रुख किया. उन्होंने अपना ग्रेजुएन्शन दौलत राम कॉलेज दिल्ली से करने के साथ ही पोस्ट ग्रेजुएशन जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी ने पूरा किया. अभी वर्तमान में वे जेएनयू से अपनी पीएचडी कर रही है.
शची जायसवाल के पिता मोहन जायसवाल कारोबारी हैं. उनकी माता अमिता जायसवाल गृहणी हैं. यूपीएससी रिजल्ट के समय शची जायसवाल दिल्ली में हैं. जैसे ही सिविल सेवा का रिजल्ट आया, शची के घर में खुशी का माहौल पैदा हो गया. इन दोनों की सफलता पर सरगुजा के लोग नाज कर रहे हैं.
सिविल सेवा परीक्षा में सरगुजा संभाग चमक उठा है
